बुधवार, 8 जून 2016

शहीदों के सरताज.. श्री गुरू अर्जुन देव जी...कोटि कोटि नमन्

आज श्री गुरू अर्जुन देव जी का शहीदी पर्व है...मैंने पेपर में देखा कि एक न्यूज़-रिपोर्ट तो थी कि कहां कहां पर लंगर लगेगा...लेिकन इस महान् शख्शियत के बारे में ..इऩ के साहित्य सृजन के बारे में..श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी का संपादन इन के द्वारा कितनी कुशलता से किया गया...इस के बारे में कुछ भी नहीं था..बस, दो पंक्तियां लिखी थी लाहौर में मुगल शासक जहांगीर ने इन्हें किस तरह से शहीद करवा दिया...

बस, इतनी जानकारी से क्या बात बन जायेगी?...मैंने देखा है कि हमारी उम्र के लोगों को ही विभिन्न धर्मों के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं है...ऐसे में अगली पीढ़ी से क्या एक्सपेक्ट करें कि वह विभिन्न धर्मों के बारे में जानकारी ग्रहण करे।

यह बहुत ही ज़रूरी है ...मुझे यह शेयर करने में कोई शर्मिंदगी नहीं है कि मुझे स्वयं नहीं पता होता कईं बार अन्य धर्मों के बारे में कि आज फलां फलां त्योहार है, इस मित्र ने फेसबुक पर या अन्य किसी सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट डाली है तो यहां बधाई देनी बनती है ..या क्या कुछ कहना बनता भी है! विशेषकर मुस्लिम पर्वों के बारे में मेरे साथ ऐसा ही होता है ...मैं इन दोस्तों की पोस्टों पर टिपियाते हुए पहले दूसरे लोगों के कमैंट देख लेता हूं, फिर उसी अनुसार अपनी मंगल कामनाएं भेजता हूं..

मैं अकसर सोचता हूं कि हम ऐसे कब तक इतने वाटर-टाईट डिब्बों में अपने आप को कैद कर रखेंगे...हमें एक दूसरे के धर्म के बारे में अच्छे से जानना होगा...वैसे भी ये रब्बी पुरूष किसी एक समुदाय के लिए तो आते नहीं...सारी कायनात का कल्याण करना ही इन का उद्देश्य होता है ...
.
सतगुर आउंदा दुनिया उत्ते सारे ही संसार लई...
सतगुर आउंदा दुनिया उत्ते एके दे प्रचार लई...

दुनिया के सभी धर्म जोड़ने की बात करते हैं...बेशक! हमारी जानने की इच्छा कम होती जा रही है ..हम घिसी पिटी फूहड़ सी हिंदी फिल्में, सीरियल बार बार देखते नहीं थकते...लेकिन किसी सत्संग आदि जगह में इस तरह से बैठते हैं जैसे कोई सज़ा मिली हो!
बुल्लेया रब का की पाना..
एधरो पुटना तो ओधर लाना...
हां, आज मेरी बहुत इच्छा हुई कि मैं गुरू साहिबान के बारे में कुछ पढ़ूं...लेकिन कहां पढ़ूं...दोस्त लोग तो बस पोस्टर भेज देते हैं शहीदी दिन के ...लेकिन गूगल कब काम आयेगा...इसे हमें ढंग से इस्तेमाल कर लेना चाहिए...और जिस भाषा में कुछ जानकारी चाहते हैं अगर सर्च उसी लिपि में करेंगे तो बेहतर होगा...

हां, एक बात जैसा कि आप जानते ही हैं कि लगभग हर तरह की जानकारी विकिपीडिया पर तो मिल ही जाती है ...सब से पहले मैंने गुरू साहब के बारे में इस लिंक पर जाकर पढ़ा... गुरू अर्जुन देव जी महाराज (विकिपीडिया लिंक)

 इस के बाद मुझे कुछ और भी जानने की इच्छा थी ..इसलिए मैं दूसरे किसी सर्च रिज़ल्ट पर चला गया और गुरू महाराज के बारे में और भी जानकारी प्राप्त हुई.. गुरू साहब का जीवन परिचय 

हर विषय पर इतनी सामग्री पड़ी है इंटरनेट पर, बस हम लोग ही सुस्त रहते हैं। महान लोगों के जीवन के बारे में पढ़ते रहने से हमें कुछ तो प्रेरणा मिलती ही है..बेशक...सब चीज़ अखबारों से और इलैक्ट्रोनिक मीडिया से ही एक्सपेक्ट नहीं कर सकते! क्या ख्याल है?


अगर आप पंजाबी भाषा समझ लेते हैं तो मेरे कहने पर आप छः मिनट का समय निकाल कर संत सिंह मस्कीन साब की बात ज़रूर सुन लीजिए...

गुरू साहब अर्जुन देव जी की शहादत को हमारा कोटि कोिट नमऩ..

गुरू अर्जुन देव जी साहिब के ऊपर यह एक डाक्यूमेंटरी भी है ..

बचपन से ही ऐसी यादें है कि इस शहीदी दिवस पर हम लोग जगह जगह लगी शबीलों पर जाकर मीठे दूध की छबीलों से प्रसाद लेते,  उबले हुए चने भी मिलते ..क्या कहते हैं इन्हें पंजाबी में..हां, भंगूड़...कईं बार रूह-अफज़ा वाला दूध मिलता..कभी कोई शर्बत ...लेकिन भंगूड़ साथ में ज़रूर बांटे जाते...

गुरू जी को कोटि कोटि नमन ...इस प्रेरणा दिवस के हम सब यह प्रेरणा लें कि जिस एकत्व का पाठ उन्होंने मानवता को पढ़ाया, प्यार, नम्रता का संदेश दिया...हम सब उस पर चल पाएं। 

मैं भी अभी थोड़े समय में गुरूद्वारे जाकर मानवता के कल्याण की अरदास करूंगा और गुरू घर का प्रसाद ग्रहण करूंगा..क्या आप ने प्रसाद ग्रहण किया ?



2 टिप्‍पणियां:

इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...